Argument: कैसे हम खुदको अनचाहे बहस से बचा सकते है?

Argument (बहस): हमारी जिंदगी में कई ऐसे पल आते हैं जहां हमारी किसी के साथ Argument होती है. हम अपने मत पर कायम होते हैं और सामने वाला अपने मत पर. ऐसे में अक्सर बहस की स्थिति का सामना करना पड़ता है. कभी अपनों से बहस होती है तो कभी पराए लोगों से. जैसे भाई बहन दोस्त करीबी रिश्तेदार तो कभी हमारे साथ काम करने वाले किसी व्यक्ति के साथ किसी कारण हमारी बहस हो जाती है.

किंतु हम सब यह बात अच्छी तरह से जानते हैं की Argument करके कुछ भी हासिल नहीं होता. बचपन से हमें यही बात सिखाई भी जाती है. किसी के साथ बहस मत करो शांति से पेश आओ. लेकिन क्या यह कर पाना इतना आसान है? क्या हम बहस करें बिना कुछ पलों को शांति से व्यतीत कर सकते हैं? शायद नहीं.

कुछ जगहों पर Argument हो जाती है और फिर कुछ समय बाद शांति से बात भी हो सकती है या फिर नहीं भी होती. फिर भी हमें कई बातों का ध्यान रखना चाहिए. चलिए , आज इस लेख के माध्यम से कुछ बातें सीखते हैं.

Argument (बहस) कहा करें और कहा नहीं ?

मेरे विचार से जहां लोग अपने हो वहा बहस की जा सकती है जिसका परिणाम शायद अच्छा बुरा जो भी हो लेकिन सहा जा सकता है. पर जब हम किसी पराए व्यक्ति के साथ Argument कर रहे हो तो उसके परिणाम बहुत बुरे भी हो सकते हैं इसलिए वह हमें सोच समझ कर बात करनी चाहिए. जब लोग अपने हो तो हमारी बातों को समझ कर ले सकते हैं. लेकिन जहां लोग पराए हो वह हमें किसी भी तरह का नुकसान भी पहुंचा सकते हैं.

जब सामने वाला गलत हो तब भी हमें बहस नहीं करनी चाहिए क्योंकि वह बहस करके कोई फायदा नहीं होता है. खासकर जब वह व्यक्ति पराया हो. उस व्यक्ति को आपकी भावनाओं का ख्याल ना हो. ऐसे व्यक्ति से Argument करके खुद को नुकसान पहुंचाना गलत होगा.

वहीं अगर कोई अपना हमें कोई बात समझा रहा हो और हम वह बात समझ ना रहे हो तो उस वक्त झगड़ा करना या बहस करना ठीक हो सकता है जिससे हमें अपनी गलतियों का एहसास भी हो सकता है या फिर सामने वाले व्यक्ति को हमारी बात का एहसास भी दिलाया जा सकता है.

लेकिन जरूरी नहीं कि बहस की जाए. शांति से हम अपनी बात रख सकते हैं जिससे अनुचित परिणामों का हमें सामना नहीं करना पड़ेगा.

बहस करने का मतलब क्या होता है?

बहस करने का मतलब यह होता है कि हम अपनी बात सामने वाले व्यक्ति को मनवाने की कोशिश कर रहे हैं. जो उसे बिल्कुल भी पसंद नहीं है. ऐसे में दो व्यक्तियों में बहस होना संभव है. दो अलग विचारों के व्यक्तियों में अपने अलग विचारों के कारण बहस हो सकती है. पर उनमें विचारों का आदान-प्रदान भी हो सकता है अगर वह सामंजस्य से काम ले. उन्हें एक दूसरे के विचारों का लाभ मिल सकता है.

लेकिन दोनों ही व्यक्ति अपने अपने विचारों को छोड़ने के लिए तैयार ना हो या फिर दूसरे का मत सुनने के लिए तैयार ना हो तो ऐसे में अक्सर बहस हो जाती है. कोई व्यक्ति जानबूझकर अपना काम ठीक से ना कर रहा हो तभी भी बहस होना संभव है.

क्यों हम आदतन Argument करते हैं?

जी यह बात हर व्यक्ति के स्वभाव के अनुसार कही जा सकती है. कुछ लोग ज्यादातर बहस करते हैं. वहीं कुछ लोग शांति से भी समझदारी से भी पेश आते हैं. जिन लोगों को बहुत जल्दी गुस्सा आ जाता है वह अक्सर Argument का शिकार हो जाते है. यू कह सकते हैं कि वो बहस के आदि है.

पर जरूरी भी नहीं कि यह आदत जीवन भर हमारे साथ रहे. वक्त के अनुसार इसमें बदलाव भी आ सकता है. जैसे किसी अनुभव से भी कोई व्यक्ति अचानक शांत हो जाता है. उसी प्रकार इस स्वभाव में बदलाव लाया जा सकता है. नुकसान करने वाली आदतों से दूर रहना अच्छा होता है.

इसलिए बहस करने से दूर रहे ज्यादातर शांति से पेश आए.यह बात अपने करीबी लोगों की हो वह आप खुलकर बात भी कर सकते हो या फिर Argument भी कर सकते हो. पर एक बात का ख्याल जरूर रखें जिस से भी बात हो उसका दिल इस कदर ना टूट जाए कि फिर वह आपसे बात करना ना छोड़ दें, आपसे रूठ ना जाए.

Argument (बहस) करने से हम कैसे अपने आप को बचा सकते हैं?

जहां हमें मालूम हो हम सही हैं वह अपने आप को साबित करने की कोशिश ना करें. इससे हम बहस करने से बच सकते हैं. जहां सामने वाला हमारी बात को सुनने की क्षमता नहीं रखता हो वह उसे अपनी सही बातें समझाने की कोशिश ना करना सही होगा. जिससे हम अपना खुद का नुकसान होने से भी बचा सकते हैं.

किसी भी बात को पहले पूरी तरह से सुन ले फिर उस पर अपना मत प्रदर्शन करें. इससे आपको पूरी बात समझ आएगी और कोई भी गलतफहमी की गुंजाइश नहीं होगी. जिससे अच्छी बातें होंगी और Argument की संभावना भी घट जाएगी. बहस की परिस्थिति निर्माण होते ही आप शांत हो सकते हैं या फिर बात को थोड़े समय के लिए रोक भी सकते हैं.

सही इंसान के साथ बहस (Argument) करने से बचें.

सही इंसान के साथ बहस करने से वह व्यक्ति हमसे रूठ जाएगा. जिससे हमें सही सलाह नहीं मिलेगी. पर हम और एक बात कहना चाहते हैं. इंसान अगर सही हो तो वह हमें सही राह तो जरूर दिखाएगा जिसे हमें उसके साथ बहस करने की जरूरत नहीं होगी. फिर भी अगर Argument हो जाती है तू भी उसके परिणाम स्वरूप हमें पछतावा करना पड़ सकता है. जब कोई इंसान सही हो तो उसके राय मान लेना अच्छी बात होती है.

लेकिन कई बार हमारी राय उस व्यक्ति से भेद रख सकती है. बस हमें उस राय को उस व्यक्ति के सामने शांति से पेश करना जरूरी है. जहां बात सही और गलत की हो तो कभी कभी व्यक्ति के अनुसार सही गलत के मायने अलग अलग हो सकते हैं.

समझदारी को बढ़ावा दें.

समझदारी को बढ़ावा देना यह एक लाभदाई बात है.समझदारी से काम लेने वाले व्यक्ति अक्सर सबके प्रिय व्यक्ति हो जाते हैं. जिससे उनके काम भी आसानी से हो जाते हैं. उन्हें कई बातें सीखने को मिल जाती है. कोशिश करें कि कोई भी बात समझदारी से करें.

किसी भी रिश्ते में सिर्फ मीठी बातें नहीं हो सकती. अक्सर खट्टी मीठी बातों से ही रिश्ता मजबूत हो जाता है. थोड़ी बहुत बहस किसी भी रिश्ते में हो ही जाती है. बस समझना यह है कि हम अपने लोगों का ख्याल कितना रखते हैं…..! क्या हम अपनी रूखी सूखी बातों से उनका दिल तोड़ रहे हैं….?

अगर ऐसा है तो उन बातों का कोई मतलब नहीं है. ऐसी बहस के कारण रिश्तो में दरार पड़ जाती है. रिश्ते कमजोर हो जाते हैं और आखिर में वह टूट जाते हैं. बहस उन बातों पर हो जो सही हो जिन से दोनों का भला हो. बहस उन बातों पर ना करें जिनसे कोई लाभ ना हो. या फिर अपनों का दिल दुखे.

किसी को सही रास्ता दिखाना तो अच्छी बात है पर उसके साथ उसके दिल का थोड़ा सा ख्याल रखना भी बेहद जरूरी है. गर उसका दिल आपकी बातों से टूट जाए तो फिर उस बहस का कोई फायदा नहीं होगा ना वह सही रास्ते पर जा सकेगा ना वह अपनी जिंदगी में कामयाबी हासिल कर पाएगा.

इसलिए कोशिश करें किसी वजह से कोई रिश्ता बेरूख ना बन जाए. प्यार से रिश्तो को बांधे रखें.

– Vrushali Suvarna Dyandev
(Writter, Poetess, Team Leader)


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