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छोटी रेखा : मित्रों, आज हम अकबर बीरबल की पांचवी कहानी “छोटी रेखा” पढ़ेंगे, जिसमें एक बार फिर बीरबल अपनी चालाकी से सबको चकित कर देते हैं. तो आइए कहानी पढ़े.
एक दिन अकबर बादशाह अपने सारे दरबारियों के साथ दरबार में बैठा था. दरबार में रोज का कामकाज चल रहा था. लेकिन इतने में बादशाह अकबर के दिमाग में अचानक कुछ प्रश्न आ गया.
वह भरे दरबार में अपने सिंघासन से उतरते हुए दरबार के बीचो बीच गया. उसने वहां पर एक लंबी लकीर छोटी रेखा निकाली और सारे दरबारियों की तरफ एक नजर डाली और फिर पूछा कि, “हमारे इस रथी महारथियों से भरे दरबार में ऐसा कोई शख्स है, जो मैंने अभी दरबार में सबके सामने खींची हुई रेखा को हाथ लगाए बिना छोटा करके दिखा सकें?”
छोटी रेखा को देखकर दरबार हक्का बक्का रह गया…
गौरतलब है कि इस बात से सारा दरबार भ्रमित हो कर बस देखता रह गया. हर कोई परेशान हो गया था और एक दूसरे से यही सवाल कर रहा था कि भला निकाली हुई छोटी रेखा को बिना हाथ लगाए छोटा कैसे करें?
हालांकि बादशाह अकबर की हिम्मत और ताकद को सभी जानते थे, इसके बावजूद भी लोग मन ही मन सोच रहे थे कि आज बादशाह अकबर को क्या हो गया है.
भले ही हर कोई यह बात अपने मन में सोच रहा था, लेकिन इसके विपरीत यह कहने की किसी के पास हिम्मत नहीं थी.
उसी वक्त बीरबल वहां आया और उसने बादशाह अकबर से कहा, “जहांपनाह, मैं यह कर सकता हूं!”
बीरबल ने फिर एक बार दिखाई चतुराई…
बादशाह अकबर इस बात से चौक भी गया और खुश भी हुआ. उसने बीरबल को उसकी निकाली हुई छोटी रेखा को छोटा करने की अनुमति दे दी.
बीरबल बहुत चालाक था. हमेशा की तरह उसने इस बार भी पूरे दरबार को अपनी चतुराई का परिचय दे दिया.
उसने जमीन पर बादशाह अकबर ने पहले से ही खींची हुई रेखा के समीप एक और दूसरी रेखा खींच दी, जो उस रेखा से लंबी थी. इसके बाद उसने बड़े अदब से बादशाह से कहां, “जहांपनाह, देखिए आपकी रेखा अब छोटी हो गई है.”
इस चतुराई को देखकर बादशाह के साथ-साथ पूरे दरबारी भी भौचक्का रह गए. बादशाह अकबर को उसकी चालाकी पता चल गयी. बादशाह बहुत खुश हुआ और उसने बीरबल से कहा, “बहुत अच्छे बीरबल! तुम्हारी बुद्धिमत्ता पर मुझे नाज है.!”इसके अलावा बादशाह अकबर ने बड़े सम्मान के साथ बीरबल को इनाम भी घोषित किया.
सारांश में हम यही कह सकते हैं कि छोटी रेखा में बताये बीरबल की तरह प्रसंग को समझते हुए हमें भी अपने जीवन में कुछ नई चतुराई सीखनी है.