Short Hindi Stories

प्रेरणा का स्रोत (Prerna ka strot) – Short Hindi Story

प्रेरणा का स्रोत (Prerna ka strot): दोस्तों, जिंदगी है तो संघर्ष हैं, तनाव है, काम का दबाव है, ख़ुशी भी है और डर भी है! लेकिन अच्छी बात यह है कि ये सभी स्थायी नहीं होता. समय रूपी नदी के प्रवाह में से सब प्रवाहमान हैं. कोई भी परिस्थिति, चाहे ख़ुशी हो या ग़म, कभी स्थायी नहीं होती, समय के अविरत प्रवाह में विलीन हो जाती है.

ऐसा अधिकतर होता है की जीवन की यात्रा के दौरान हम अपने आप को कई बार दुःख, तनाव, चिंता, डर, हताशा, निराशा, भय, रोग इत्यादि के मकडजाल में फंसा हुआ पाते हैं. हम तात्कालिक परिस्थितियों के इतने वशीभूत हो जाते हैं कि दूर-दूर तक देखने पर भी हमें कोई प्रकाश की किरण मात्र भी दिखाई नहीं देती, दूर से चींटी की तरह महसूस होने वाली परेशानी हमारे नजदीक आते-आते हाथी के जैसा रूप धारण कर लेती है और हम उसकी विशालता और भयावहता के आगे समर्पण कर परिस्थितियों को अपने ऊपर हावी हो जाने देते हैं.

वो परिस्थिति हमारे पूरे वजूद को हिला देती है, हमें हताशा, निराशा के भंवर में उलझा जाती है…एक-एक क्षण पहाड़ सा प्रतीत होता है और हममे से ज्यादातर लोग आशा की कोई किरण ना देख पाने के कारण हताश होकर परिस्थिति के आगे हथियार डाल देते हैं.

अगर आप किसी अनजान, निर्जन रेगिस्तान मे फँस जाएँ तो उससे निकलने का एक ही उपाए है ,बस -चलते रहें! अगर आप नदी के बीच जाकर हाथ पैर नहीं चलाएँगे तो निश्चित ही डूब जाएंगे. जीवन मे कभी ऐसा क्षण भी आता है, जब लगता है की बस अब कुछ भी बाकी नहीं है, ऐसी परिस्थिति मे अपने आत्मविश्वास और साहस के साथ सिर्फ डटे रहें क्योंकि-

“हर चीज का हल होता है, आज नहीं तो कल होता है!”

प्रेरणा का स्रोत (Prerna ka strot): आइए इस बारे में एक कहानी देखें.

एक बार एक राजा की सेवा से प्रसन्न होकर एक साधू नें उसे एक ताबीज दिया और कहा कि, “राजन, इसे अपने गले मे डाल लो और जिंदगी में कभी ऐसी परिस्थिति आये की जब तुम्हे लगे की बस अब तो सब ख़तम होने वाला है, परेशानी के भंवर मे अपने को फंसा पाओ, कोई प्रकाश की किरण नजर ना आ रही हो, हर तरफ निराशा और हताशा हो, तब तुम इस ताबीज को खोल कर इसमें रखे कागज़ को पढ़ना, उससे पहले नहीं.” राजा ने वह ताबीज अपने गले मे पहन लिया. 

एक बार राजा अपने सैनिकों के साथ शिकार करने घने जंगल मे गया. एक शेर का पीछा करते करते राजा अपने सैनिकों से अलग हो गया और दुश्मन राजा की सीमा मे प्रवेश कर गया. जंगल घना था और सांझ का समय था.

तभी कुछ दुश्मन सैनिकों के घोड़ों की टापों की आवाज राजा को आई और उसने भी अपने घोड़े को एड लगाई. राजा आगे आगे दुश्मन सैनिक पीछे पीछे!  बहुत दूर तक भागने पर भी राजा उन सैनिकों से पीछा नहीं छुडा पाया.

भूख-प्यास से बेहाल राजा को तभी घने पेड़ों के बीच मे एक गुफा सी दिखी. उसने तुरंत स्वयं और घोड़े को उस गुफा की आड़ मे छुपा लिया और सांस रोक कर बैठ गया. दुश्मन के घोड़ों के पैरों की आवाज धीरे धीरे पास आने लगी. दुश्मनों से घिरे हुए अकेले राजा को अपना अंत नजर आने लगा.

उसे लगा की बस कुछ ही क्षणों में दुश्मन उसे पकड़ कर मौत के घाट उतार देंगे. वह जिंदगी से निराश हो ही गया था, की अचानक उसका हाथ अपने ताबीज पर गया और उसे साधू की बात याद आ गई! उसने तुरंत ताबीज को खोल कर कागज को बाहर निकाला और पढ़ा. उस पर्ची पर लिखा था —“यह वक़्त भी कट जाएगा!“ – प्रेरणा का स्रोत

राजा को अचानक  ही जैसे घोर अन्धकार मे एक ज्योति की किरण दिखी, डूबते को जैसे कोई सहारा मिला! उसे अचानक अपनी आत्मा मे एक अकथनीय शान्ति का अनुभव हुआ! उसे लगा की सचमुच यह भयावह समय भी कट ही जाएगा, फिर मे क्यों चिंतित होऊं. अपने प्रभु और ख़ुद पर विश्वास रख उसने स्वयं से कहा की हाँ, यह वक़्त भी कट जाएगा!

और हुआ भी यही! दुश्मन के घोड़ों के पैरों की आवाज पास आते आते दूर जाने लगी. कुछ समय बाद वहां शांति छा गई. राजा रात मे गुफा से निकला और किसी तरह अपने राज्य मे सुरक्षित वापस आ गया.

दोस्तों, प्रेरणा का स्रोत यह सिर्फ उसी राजा की कहानी नहीं है. यह हम सब की कहानी है. हम सब लोग परिस्थिति, काम या तनाव के दबाव में इतने आ जाते हैं की हमे दूसरा कुछ सूझता भी नहीं. हमारा डर हम पर ही हावी होने लगता है. कोई रास्ता या समाधान दूर-दूर तक नजर नहीं आता. लगने लगता है की बस, अब सब ख़तम होगा, है ना?

✍? संतोष साळवे
एस सॉफ्ट ग्रुप इंडिया


इस तरह के विविध लेखों के अपडेट के लिए हमारे फेसबुक पेज ssoftgroup लाइक करे.


WhatsApp पर दैनिक अपडेट मिलने के लिए यहाँ Join WhatsApp पर क्लिक करे

Worth-to-Share