दोस्तों आज हम सत्कर्म की कहानी को पढ़ेंगे…
विश्वविजेता सिकंदर पूरी दुनिया पर विजय प्राप्त करने के बाद अपने देश लौट रहा था; लेकिन रास्ते में ही वह बहुत गंभीर रूप से बीमार हो गया. कई बेहतरीन उपायों के बावजूद भी उसके बीमारी से उबरने के कोई संकेत नहीं दिखाई दे रहे थे.
उसे अब तक यह आगाज़ हो गया था कि जीता हुआ पूरा साम्राज्य, इतनी बड़ी विशाल सेना, अपनी पराक्रमी तलवार और अनगिनत संपत्ति को यही छोड़कर उसे मृत्युलोक जाना ही पड़ेगा. साथ ही उसे इस बात का अंदाजा हो चुका था कि वह किसी भी परिस्थिति में अपनी मातृभूमि तक जीवित नहीं पहुंच पाएगा.
वह अपने मृत्युके अंतिम क्षणों की गिनती कर रहा था.अपनी मृत्यु सामने देख उसने अपने प्रमुख सरदार को बुलाया और कहा, “मैं जल्द ही यह दुनिया छोड़ कर जा रहा हूं. मरने से पहले मैं तुम्हें मेरी तीन इच्छाएं बताना चाहता हूं और उन्हें पूरा करना तुम्हारी जिम्मेदारी है.” सरदार के पास दुख भरे शब्दों के साथ ‘हां’ कहने के अलावा कोई चारा नहीं था.
सिकंदर ने कहा, “मेरी पहली इच्छा यह है कि मेरा ताबूत याने की शवपेटी को मेरा निजी चिकित्सक ही उठाकर ले जाएं. मेरी दूसरी इच्छा यह है कि, अब तक जीते हुए सभी स्वर्ण, रजत और जवाहरात पूरे कब्रिस्तान तक ले जाने वाली सड़क पर बिछाए जाएं और मेरा ताबूत उस रास्ते से गुजरे. मेरी अंतिम इच्छा यह है कि मेरे दोनों हाथों को ताबूत से बाहर निकाल कर उन्हेंं लटका दिया जाए.”
पूरी सेना यह बात सुनकर बहुत दुखी थी कि हमारा राजा हमें हमेशा के लिए छोड़ कर जा रहा है. प्रमुख सरदार ने उससे उसकी इच्छाएं पूरी करने का वादा किया; लेकिन फिर भी साहस पूर्वक उससे पूछा की, “राजन, ये कैसी अजब इच्छाएं हैं?” राजा ने एक गहरी सांस ली और कहा कि, “मैंने अपने जीवन में अब तक क्या सीख ली है, यह पूरी दुनिया को पता चलनी चाहिए. और यह बात सभी को मालूम होने के लिए ही इन तीनों इच्छाओं की पूर्तता होनी आवश्यक है.”
“मेरे निजी चिकित्सक ने मेरे ताबूत को अकेले ही उठा लेना चाहिए, इस बात से मैं दुनिया को यह संदेश देना चाहता हूं कि दुनिया का कोई भी महान चिकित्सक आपको मृत्यु से नहीं बचा सकता. मृत्यु अंतिम सत्य है. इसीलिए सभी को यह ईमानदार प्रयास करना चाहिए की किसी के भी मन को किसी बात से चोट ना पहुंचे.”
अपनी प्रशंशा स्वयं न करे, यह कार्य आपका सत्कर्म करा लेगा
“मेरी दूसरी इच्छा के अनुसार, विश्व विजेता होने के लिए मैंने जीवन भर कई लड़ाइयां की, अपार धन कमाया; लेकिन जब मैं मर जाऊंगा तो मैं अपने साथ कुछ भी नहीं ले जाऊंगा. इसीलिए मैं चाहता हूं कि अपने ताबूत को लेकर कब्रस्तान के रास्ते पर अब तक जीता हुआ सारा सोना, चांदी, जवाहरात बिछाया जाएं.
किसी भी तरह से सिर्फ धन जमा करना ही केवल जीवन नहीं है.””मेरी तीसरी इच्छा के अनुसार, लोगों को यह बात पता चले की, मैं खाली हाथ इस दुनिया में आया था और खाली हाथ ही जा रहा हूं. इसलिए मेरे दोनों हाथ ताबूत से बाहर निकाले जाएं और लटकते रहने दें.” यह सब बता कर कुछ ही क्षणों में उसकी मृत्यु हो गई.
तात्पर्य: जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो वहां अंत में अपने साथ कुछ भी नहीं ले जाता है. केवल उसके सत्कर्म ही उसके साथ जाते हैं. इसका यह अर्थ है कि आपको इस संसार में अच्छा आदमी बनकर अच्छे कर्म करने है. बाकी सब कुछ यही छोड़ना हैं.
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